effects of internet on mind in hindi

जैसे कि Internet का प्रयोग तो सभी करते हैं। यह एक life का हिस्सा बन चुका है पर क्या आपको पता है Effects Of Internet On Brain - इंटरनेट का दिमाग पर असर क्या पड़ता है।

चलिए आप बताइए क्या आप अपने बच्चे या माता-पिता के सेल फोन नंबर जानते हैं या वह लोग जो अपने सबसे करीबी दोस्तों रिश्तेदारों या सहकर्मियों का जन्मदिन जानते हों। बिना mobile, Facebook, Instagram या gadgets चलाए बिना आपको याद नहीं आ सकता। अधिकांश मामलों में इन सबका उत्तर होगा 'हमें याद नहीं '।

परंतु Internet के दुनिया में आने से पहले लोग इसके बिना ही सब कुछ याद रखते थे जैसे हमारे दादा- दादी को सब कुछ याद था एक सालगिरह एक जन्मदिन यहां तक की महान ऐतिहासिक घटनाओं की तरीके भी उन्हें स्पष्ट याद होती थी। मुझे याद है कि मेरी दादी जी जब वह 80 वर्ष के थे तब भी उन्हें वे सभी सुंदर कविताएं याद थी और उसे कैसे गा कर सुनना है जो एक बच्चे के रूप में स्कूल में सीखी जाती है।

Internet की दुनिया में आने से हमारे दिमाग के सोचने की क्षमता कमजोर होती जा रही है चलिए जानते हैं Effects Of Internet on Mind कि कैसे इंटरनेट से दिमाग कमजोर हो रहा है।

Internet कैसे कर रहा दिमाग कमजोर

Internet और Degital क्रांति युग ने हमारे दिमाग की सोचने की क्षमता को बदल दिया है। अब हमारा दिमाग किसी भी जानकारी को याद रखने की बजाय उसे कहीं और Store करने पर बल देता है। अब हम दिल से कुछ भी याद रखने की कोशिश नहीं करते हैं। अब हम ज्यादातर प्रश्नों का जवाब दिमाग से सोच कर नहीं देते बल्कि हम तुरंत Internet से परामर्श करते हैं।

यहां तक की किसी Topic पर चल रही चार लोगों की बहस भी अब ज्यादा लंबी नहीं चलती। दरअसल हर बहस का अंत तुरंत इस घातक प्रश्न के साथ होता है ' चलो देखते हैं की Wikipedia क्या कहता है'। Internet पर Search करने पर हमें किसी भी प्रकार के प्रश्न और जानकारी के लिए एक उत्तर प्राप्त होता है जिस से हमारी यादाश्त और तर्क (Memory and Logic) का हर न्यूनतम प्रयास बेकार हो जाता है।

अब तो लोगों को आसान चीजें भी याद नहीं रहती क्योंकि अपने Smartphone में हम एक बार Alert लगा कर सब भूल जाते हैं। पहले अधिक से अधिक डायरी में सभी चीजों को लिख लिया जाता था ताकि भूल जाने पर मदद मिल सके परंतु जब से तरह-तरह के Gadgets आए है यह और भी आसान हो गया है और हम पहले से भी कहीं अधिक लापरवाह हो गए हैं जिसका परिणाम है कि हमारी याद रखने की शक्ति लगातार कम हो रही है। मनोचिकित्सकों ने कुछ लोगो पर Effects Of Internet On Brain पर शोध किया है। चलिए जानते हैं।

Experiment & Result

यूरोप के कुछ मनोचिकित्सक एक शोध किया जिसमें 16 से 55 वर्ष की आयु के 1000 लोगों को इकट्ठा किया जो पुरुष और महिलाओं के बीच समान रूप से विभाजित थे। उन सभी से बात करने और सवालों के जवाब पूछने पर एक बहुत ही आश्चर्यजनक निष्कर्ष सामने आया।

  • शोध में 80% लोगों ने माना की वह अपनी याददाश्त को बनाए रखने और किसी भी प्रकार की जानकारी याद रखने के लिए या अपनी जरूरत के सभी सवालों के जवाब के लिए internet का प्रयोग करते हैं।
  • 3 में से एक लोगों ने यह स्वीकार किया कि किसी भी प्रश्न का उत्तर खोजना है तो वह अपने दिमाग का प्रयोग किए बिना तुरंत Google या Wikipedia का सहारा लेते हैं। यहां तक की 4 में से 1 लोगों ने यह स्वीकार किया कि वह वो जानकारी तुरंत भूल जाते हैं जो उन्होंने अभी-अभी Online हासिल की है।

आधुनिकी युग में दिमाग कहां कर रहा Memory Store

यह एक पेचीदा सवाल है अगर हम अपने दिमाग में memory store नहीं कर पा रहे तो हमारा दिमाग यह सब चीजें याद रखने के लिए क्या कर रहा है। इस सवाल का जवाब यह है कि हमारे दिमाग ने एक External Hard Drive बना ली है

दिमाग की External Hard Drive का मतलब ये है की अब हमारा दिमाग हमारी 80% तक की Memory यानी की यादों को और जानकारी को अपने खुद में Store करने की बजाए Internet, Smartphone और कुछ खास किस्म के Gadgets में Save कर रहा है।

अब हमारा दिमाग किसी भी बात को यां डाटा को याद रखने पर कम जोर देता है और इस बात पर अधिक जोर देता है कि जब जरूरत पड़े तो हम उस जानकारी को किस तरह से और कहां से हासिल कर सकते हैं।

Technology हमारी यादों को बदल रही है अब हमें खास बातों को याद रखने की आवश्यकता नहीं है बल्कि हम इस बात पर जोर देते हैं कि वह कहां मिल सकती है। चलिए उदाहरण से समझते हैं

  • अधिकतर लोग अब हर Event Or Traveling की Photos को Social Media पर Post करने लगे हैं उन्हें लगता है कि Photo लेना और उन्हें Share करना उस वक्त की यादों को सुरक्षित रखने में मदद करता है लेकिन होता इसका उलट है। एक हालिया शोध में पता चला है कि लोग जितनी अधिक Photos लेते हैं बाद में उन्हें इन Events या Places के बारे में उतना ही कम याद रहता है। सिर्फ याद रहता है तो वहां की Photos जो अपने अपने Smartphone में Save की हुई हैं। Media की मदद से उन यादों को Save करने से हमारे दिमाग में उनकी यादों को उतना ही धुंधला कर देती है।
  • आजकल रास्ता ढूंढने के लिए Satelite Navigation का इस्तेमाल होने लगा है। जहां भी जाना हो सबसे पहले Google Map या कोई और Navigation app पर search करके रास्ता और किलोमीटर देख लिए जाते हैं। पर एक शोध के अनुसार जो लोग Satelite Navigation System पर भरोसा करते हैं वह भी ये याद रखने में Worse साबित हुए हैं कि वह कहां कहां गए थे उनकी तुलना में नक्शे का उपयोग करने वालों की याददाश्त बेहतर थी।

हर तरह की जानकारी तुरंत उपलब्ध होने की अपेक्षा का हमारे दिमाग पर असर हो रहा है। जब हमें लगता है कि बाद में कोई जानकारी हम तुरंत जुटा सकते हैं तो उसे याद रखने में हमारा दिमाग उतना ही आलसी हो जाता है। चलिए जानते हैं कि Internet और Technology का हमारे दिमाग पर क्या असर पड़ रहा है।

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Internet का दिमाग पर असर - Effects Of Internet On Brain

कुछेक मामलों में ही याद रखने के लिए Internet और Technology उपयोगी साबित हो सकती है परंतु इन पर बहुत अधिक भरोसा करना वास्तव में हमारे Brain के Nervous System को बिगाड़ सकता है।

इससे एक नई समस्या यह भी पैदा हो रही है कि अब अपनी याददाश्त पर हमारा खुद का भरोसा कमजोर पड़ रहा है। साथ ही यह भी तय करना कठिन हो जाता है कि क्या हमें वास्तव में याद है और क्या याद रखने में हमने Internet और Gadgets की मदद ली है। चलिए जानते है कैसे Internet हमारे दिमाग और जिंदगी पर असर डाल रहा है।

FOMO होने की आशंका

Fomo मतलब Fear Of Missing Out यानी की दुनिया की दौड़ से पीछे छूट जाने की भावना। Fomo सोशल मीडिया का अधिक प्रयोग करने से उत्पन्न हुआ मानसिक तनाव है। जिसमें अक्सर लोग खुद को दूसरे लोगो से पिछड़ता देख चिंता और जलन या कुछ खो जाने का डर महसूस करते है।

बार बार अपने Friends, Relatives या फिर अपने सगे संबधियो के Social Media Posts चेक करते रहना, उनकी Profiles बार बार चेक करना की कहीं कोई हमसे पहले तो कोई नई जानकारी Post नहीं कर रहा। या फिर उनके Social Life में क्या चल रहा है जो आपको पता नहीं लग पा रहा। इन सब की बेफालतु की चिंता को ही फोमो कहते है।

परंतु ये सब ज्यादा Internet और Social Media प्रयोग करने से ही हुआ। इससे हमारे दिमाग और सोचने की क्षमता पर काफी बुरा असर पड़ता है।

दिमागी भ्रम - Phantom Vibration Syndrome

यह भी एक प्रकार का दिमागी भ्रम है। कभी आपने यह महसूस किया कि आपका Mobile Vibrat कर रहा है परंतु जब आप चेक करते हैं तो ऐसा कुछ भी नहीं होता या फिर कई बार आप अपने Mobile Phone के Ringing आवाज सुनते हैं परंतु जब आप उसे देखते हैं तो ऐसा कुछ भी नहीं होता। 

ज्यादा Mobile और Internet प्रयोग करने पर आपके साथ ऐसा होता है क्योंकि ज्यादा Internet और Mobile Apps प्रयोग करने से हमारा दिमाग उसी प्रकार से Coding होना जारी हो जाता है और कई बार हम अपना मोबाइल छोड़ भी दें तो भी हमारा दिमाग मोबाइल के साथ जुड़ा रहता है और वह आपको कई बार Confusion में डालेगा की Mobile Vibration कर रहा है या फिर Ringing कर रहा है।

इंटरनेट और मोबाइल एप्स प्रयोग करने से हमारा दिमाग उनमें से निकल ही नहीं पाता और अगर Phone छोड़ भी दें तो भी हमारा दिमाग उसे Use करने पर जोर देता है जिसके कारण हम अपना Mobile और Internet बार-बार देखते हैं बिना किसी कारण के। यही कारण है की हमारा दिमाग दिन प्रतिदिन आलसी और कमजोर होता जा रहा है।

अनिद्रा रोग - Insomnia Disease

आजकल लोग रात रात भर जागकर अपने फोन में Movies या फिर Video games खेलते रहते है। OTT के जमाने में अब लोग अपने Smartphone से इस कदर जुड़ चुके हैं की उन्हें बाहरी दुनिया का भी पता नहीं चलता। हालांकि, ये रात के समय की दिनचर्या हमारे सैक्रेडियन लय में हस्तक्षेप कर सकती है।

न्यूरोसाइंटिस्ट को संदेह है कि Laptop, Tablet और Smartphone से निकलने वाली चमकदार रोशनी हमारे शरीर के आंतरिक संकेतों और नींद के Hormones में हस्तक्षेप करती है। प्रकाश के संपर्क में आने से Mind को यह विश्वास हो सकता है कि यह अभी भी दिन का उजाला है, और यह संभावित रूप से शरीर के सैक्रेडियन लय पर स्थाई प्रभाव डाल सकता है।

हमारी आंखें विशेष रूप से Screen से निकलने वाली blue light के प्रति संवेदनशील होती है इससे सोना और मुश्किल हो जाता है खासकर उन लोगों के लिए जो पहले से ही अनिद्रा से जूझ रहे हैं। Internet का रात को ज्यादा प्रयोग करने से अनिद्रा (insomnia) का विकार आयेगा जिससे हमारी यादाश्त पर असर पड़ेगा और दिमाग कुछ भी याद रखने में असमर्थ होगा।

जल्दी भूल जाने की समस्या - Quick Forgetting

पहले जमाने में अच्छी याददाश्त का होना एक महत्वपूर्ण कौशल था अब Google के युग में, जहां In Fact कोई भी जानकारी तुरंत ही हाथ में होती है हम यह याद रखने की परेशानी नहीं उठाते जैसे पोलैंड की राजधानी को याद करने की जरूरत किसे है अब आप Siri या Google से पूछ सकते हैं।

Internet से प्राप्त जानकारी को पाकर आप सोचते हैं कि हमें जो जानकारी चाहिए थी वह मिल गई परंतु 80% लोग जो जानकारी Internet पर देखते हैं वह कुछ ही समय में भूल जाते हैं जिसके कारण उन्हें फिर से इंटरनेट पर सर्च करना पड़ता है।

ऐसा इसलिए कि अब हमारा दिमाग जानकारी को याद रखने पर जोर नहीं देता क्योंकि वह इंटरनेट का आदी हो चुका है इसलिए हम कुछ भी याद रखने में असमर्थ है और जल्दी से भूल जाते हैं कि हमने इंटरनेट पर क्या पढ़ा था।

Digital Media में डूबे व्यक्तियों को जल्दी भूलने की समस्या ज्यादा हो सकती है क्योंकि उनको लंबे समय तक किताबें पढ़ने में मुश्किल होती है और अक्सर हर शब्द को पढ़ने के बजाय Online Articles पर स्किम किया जाता है। यह घटना उन युवाओं के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय हो सकती है जिनका दिमाग अधिक लचीला है और परिणाम स्वरूप Concentration Skills Develop करने में सक्षम नहीं हो सकता।

अक्रामक और चिड़चिड़ापन - Aggression and Irritability

ऐसा अक्सर उन लोगों के साथ होता है जो Online Games खेलते हैं क्योंकि Online Games खेलने से दिमाग पर और आंखों पर बहुत जोर पड़ता है। गेम्स में हारने और जीतने का दिमाग पर काफी असर पड़ता है जो जीतता है उसका दिमाग को शांति मिलती है और हारने वाले को काफी परेशानी होती है जिससे दिमाग में चिड़चिड़ापन आता है।

अगर कोई बच्चा या युवा Online Games खेल रहा है और उसे कोई भी गेम बंद करने के लिए कहता है तो वह एकदम आक्रामक (Aggressive) हो जाता है क्योंकि उसका दिमाग गेम्स में लगा हुआ है और जब तक वह हार या जीत नहीं जाता वह उसे छोड़ नहीं पाता।

Internet, Mobile Apps और Video Games का ज्यादा प्रयोग करने से ही गुस्सा और चिड़चिड़ापन ज्यादा हो जाता है खासकर बड़े हो रहे बच्चों में। क्योंकि वे सारा सारा दिन Mobiles पर लगे रहते हैं। इन सब पर नजर रखना जरूरी है।

निष्कर्ष - Conclusion

वैसे जब तक तो हमारी पहुंच Internet Knowledge तक है तब तक तो ठीक है परंतु किसी आपात स्थिति में या exam आदि में यह सुविधा न रहने पर वास्तव में हमारे सामने संकट उत्पन्न हो सकता है तब हमारे लिए यह अनुमान लगाना कठिन होगा कि हमें कितना वास्तव में याद है।

जिस तेजी से Technology Devlope हो रही है उससे इस संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि Future में याददाश्त बढ़ाने में भी यह योगदान दे सकेंगे परंतु फिलहाल तो हम जान चुके हैं कि Internet और Technology हमारी याददाश्त बढ़ाने के बजाय उसे कमजोर करने का ही काम कर रही है। जिसके कारण हमारा दिमाग दिन प्रतिदिन कमजोर और आलसी होता जा रहा है।