fomo kya hai fear of missing out
FOMO (Fear of missing out) यानी दुनिया की दौड़ से पीछे छूट जाने की भावना। कभी आपको ऐसा महसूस होता है कि आपकी जिंदगी में कोई मजा नहीं है बस गुजर रही है? जैसे आपको लगता हो कि आपके दोस्त और रिश्तेदार मजेदार चीजें कर रहे हैं और आपको वे कुछ भी नहीं समझते।

या फिर अक्सर आप जहाँ काम या जॉब करते हैं वहां पर अन्य लोगो को ऐसी परियोजनाएं करते देखते हैं जो आपके द्वारा बनाई परियोजनाओं से अधिक मजेदार लगती हैं।

और या फिर आप बार बार अपने करीबी दोस्तों और रिश्तेदारों के सोशल मीडिया एकाउंट को चेक करते रहते हैं ताकि उनके बारे में कुछ न कुछ पता लगता रहे और कुछ पता न लगने पर निराशा महसूस करते हैं। यदि इनमे से कोई भी लक्षण आप में है तो आप "FOMO" के रूप में ज्ञात एक चुनोती से निपट रहे हैं। इसे कहते हैं दुनिया में गायब होने का डर यानी "FEAR OF MISSING OUT"

FOMO क्या है। What is Fomo?

वास्तव में दुनिया से लापता होने का डर है क्या? कुछ लोग अपनी जिंदगी की परवाह किए बिना दूसरों की जिंदगी में क्या हो रहा है में ज्यादा इंटरस्ट रखते हैं। दूसरे लोग क्या कर रहे है,इसके बारे में कल्पना करते रहना "FOMO" का प्रमुख लक्षण है।

यह एक प्रकार की चिंता संबधी स्थिति है,जो अपने सोशल मीडिया एकाउंट्स को बार बार देखना,दोस्त क्या कर रहे हैं, आदि चीजों के बारे में पता करने के बाद शुरू होती है।कुछ पता नहीं चलने पर वे निराशा महसूस करते हैं।

उनकी चिंता का अंत इस सोच पर खत्म होता है कि क्या हमारे जीवन में अच्छी चीजें कहीं छूट तो नहीं रही। कहीं हमारी अहमियत खो तो नहीं जा रही। इसी चिंता का नाम ही "FOMO" है।

यह घटना देखने पर सामान्य लगेगी और विचार आएगा कि इसमें तो कुछ भी नहीं है,ऐसा भी कुछ होता है क्या?
परन्तु अध्ययनों से पता चला है कि 51% युवा "FOMO" के शिकार है क्योंकी जब उन्हें कुछ समय ये पता नहीं चलता कि उनके दोस्त या करीबी लोग कहाँ है और क्या कर रहे है कहीँ वो उनसे आगे तो नहीं निकल गए तो वे आकस्मिक रूप से निराश हो जाते हैं।

पीछे छूटने का डर कोई नई बात नहीं है, लेकिन "FOMO" शब्द सोशल मीडिया के उदय के साथ लोकप्रिय हो गया इसके साथ ही social media का दुरूपयोग भी बढ़ गया है। इस घटना के शिकार लोग अक्सर सोशल मीडिया पर हमेशा सक्रिय रहने की कोशिश करते है। जहाँ वे लगातार अपने दोस्तों और परिचितों की फोटोज उनके स्टेटस को गुप्त रूप से टटोलते रहते है।
"FOMO" की पहचान सबसे पहले 1996 में डॉक्टर दान हरमन ने की थी। डॉ हरमन ने इस घटना का अवलोकन तब किया जब वे एक मीटिंग में उपभोक्ताओं से कुछ उत्पादों के बारे में बात कर रहे थे और सभी को सुन रहे थे। बहुत बड़ी व्यवसायिक चर्चा के बाद, उनमे से कुछ उपभोक्ताओं ने अवसर की कमी और उसके साथ आने वाले आनंद की संभावना के साथ उनके भयभीत रवैये की बात की। उनको लगा कि उनकी योजनायें दुसरो के प्रति कम सफल हैं और उनके मुकाबले कोई और उपभोक्ता आगे निकल जाएंगे। यहीं से डॉ हरमन ने उपभोक्ता मनोविज्ञान में एक नया विकास पाया और "FOMO" को सामाजिक सांस्कृतिक घटना के रूप में अनुसंधान करना जारी रखा।

"FOMO" के कुछ उदाहरण

क्या आप सोच रहे हैं कि "FOMO" (FEAR OF MISSING OUT) के डर में क्या क्या आता है कैसे पता चलता है कि FOMO है। तो कुछ उदाहरणों के माध्यम से आपको पता चल जाएगा। आप इन सभी के बीच देखेंगे कि इनमें एक विषय छुपा है जो लम्बा फायदा देने की बजाय छोटे फायदे पर केंद्रित है। यदि आप इन उदाहरणों में से किसी भी स्थिति में खुद को देख सकते हैं तो आप "FOMO" का अनुभव कर सकते हैं।

1.SMARTPHONE FOMO-यानी दिन रात स्मार्टफोन से चिपके रहना।

कुछ लोग smartphone से इस कदर जुड़े हुए हैं कि उनको अपनी फिक्र से ज्यादा SMARTPHONE की APPS,GAMES या फिर सोशल मीडिया पर कुछ न कुछ अपडेट करने की ज्यादा फिक्र है।

ये FOMO के ही लक्षण हैं क्योंकि वे अपने SMARTPHONE के बिना एक पल भी नहीं रह सकते वे अपने फ़ोन में ऐसी दुनिया बसा चुके होते है।  जो बहरी दुनिया से बिलकुल अलग है और वे बार बार अपने दोस्तों परिचितों के स्टेटस और उनके द्वारा की गई कोई भी activity देखने में ज्यादा रुचि रखते हैं। उनको हमेशा यही डर रहता है की उनके स्मार्ट फ़ोन को कुछ हो न जाये। फिर चाहे स्थिति कोई भी हो।
स्थिति मतलब अगर वो ड्राइविंग कर रहे हैं, पैदल कहीं जा रहे हैं, टॉयलेट में भी प्रयोग करते हैं फ़ोन। उनको सिर्फ लोगो से जुड़े रहने और उनकी गतिविधि देखने मे अधिक रुचि है। युवा बच्चे जो अभी पढ़ रहें है उनको अपने करियर बनाने की बजाए अपने मोबाइल पर गेम्स या फिर किन्ही और apps पर level बटोरने की ज्यादा फ़िक्र है।

हालांकि वे ये इतने लम्बे दिन के अंत मे भी यह सब कर सकते हैं। जब वे सभी कामों से फ्री हो या आराम कर रहें हो या किसी के आफिस के प्रतीक्षा कक्ष में बैठे हों।

आप खुद से पूछिए की पिछले दिन देखे गए लोगो के स्टेटस और सारा दिन फ़ोन चलाने के बाद भी आपको पिछले दिन का कुछ याद है? जवाब होगा नहीं

लेकिन आपको यकीनन वो दिन जरूर याद होगा जब आपका ड्राइविंग करते समय फ़ोन चलने से सड़क दुर्घटना हो गई थी। इस स्थिति को "FOMO" ही कहा जायेगा।

2.FOMO SHOPPING- यानी नई वस्तुओं को पहले खरीदने का शोंक

कई लोगो को नई वस्तुएं खरीदने का बहुत शोंक होता है। शोंक तो सभी को होता है परंतु "FOMO" के शिकार लोगो को इसका शोंक अलग तरीके का होता है।

उनके दिमाग मे हमेशा यही चलता रहता है कि बाजार में ऐसी कौन सी वस्तु नई आयी है जो किसी के पास नहीं है। और उन्हें डर सताता है कि अगर वो वस्तु मुझे न मिली तो दूसरे लोगो से पीछे रह जाऊंगा या जाउंगी। महंगी वस्तुओ पर पैसे उडाना और बिना मतलब की चीजे खरीदना ताकि वे दुनिया से पीछे न छूट जाएँ इसी डर को ही "FOMO" कहते हैं।

वो उस वस्तु को किसी भी कीमत पर प्राप्त करना चाहते हैं ताकि वो दुनिया के साथ अपडेट रह सकें। इस प्रकार की आदत अगर किसी में है तो यह "FOMO" के अंतर्गत आएगा। क्योंकि वो वस्तु न मिलने की चिंता ही FOMO है।

3.SOCIAL MEDIA FOMO- यानी किसी भी समय सोशल मीडिया चलाते रहना।

बहुत से लोगो को सोशल मीडिया का इतना शोंक है कि वे कहीं भी हो उनका एक हाथ मोबाइल चलाने और सोशल मीडिया चलाने में बिजी रहता है। ये "FOMO" का ही लक्षण होता है।

फिर वे चाहे वो किसी खास मीटिंग में हो या अपनी पहली डेट पर। उनका दिमाग मीटिंग या डेट पर कम होकर अपने सोशल मीडिया की बार बार जांच करने में ज्यादा होता है।

वह व्यक्ति अपने इस खास समय में जीने की बजाए सोशल मीडिया की दुनिया में क्या हो रहा है कि अल्पावधि में जकड़ा होता है। उनका जीवन सुबह से लेकर रात सोने तक सोशल मीडिया तक ही होता है।

परन्तु यह याद रखे कि आपके पास यह बदलने की क्षमता नहीं है कि अन्य लोग क्या करें, जिसका अर्थ है कि आपको यह जानने की आवश्यकता नहीं है कि क्या सही हो रहा है और क्या नहीं।

अपने जीवन मे "FOMO" को कैसे कम करें

FEAR OF MISSING OUT यानी दुनिया की दौड़ में पीछे छूट जाने का डर। अगर आपके मन में भी अक्सर इस प्रकार का ख्याल आता है,तो आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। भटकाने वाली इस स्थिति से आपको मुक्त होने की आवश्यकता है। "FOMO" के अनुभवों को कम करने के लिए इन चरणों का पालन करें जिनके बारे में हम बताने जा रहे हैं।
fomo ko kaise kam kare

1.अपनी प्राथमिकता को जाने।

आपको यह समझना और इस पर विचार करना होगा कि आपके लिए क्या जरूरी है। याद रखें कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अलग अलग प्राथमिकताएं होती हैं और यह देखें कि तुम्हारी प्राथमिकता क्या है?

अगर आप जानते है कि आपके लिए क्या मूल्यवान है,तो आप अन्य लोगो की सफलताओं के बारे में ईर्ष्या महसूस करने से बच जाते हैं और "FOMO" से ग्रसित होने से बच सकते हैं। क्योंकि आपके पास एक लक्ष्य है जिस पर आप काम कर रहें हैं।

आप अपने आप से पूछें, आप क्यों सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों और रिश्तेदारों की ताक झाँक करते रहते हैं? क्या यह आपके स्वास्थ्य के लिए ठीक है। अपना एक स्पष्ट स्वमूल्यांकन करने पर आपको पता चलेगा कि इस प्रकार की चिंता बिल्कुल बेकार है।

अपनी प्राथमिकता को जानें ताकि आप अपने रास्ते में आने वाले हर अवसर का वास्तव में विश्लेषण कर सकें। जो आपके लिए महत्वपूर्ण है उसके बारे में सोचें। अपना लक्ष्य निर्धारित करें और उसको पाने में जी तोड़ मेहनत करें।

2. सोशल मीडिया से दूरी

लगभग असंभव लगता है,है ना? लेकिन अपने सोशल मीडिया अकॉउंट से घण्टो जुड़े रहने भी "FOMO" होने का मुख्य दोषी है। आप आज जो समय सोशल मीडिया को दे रहें हैं, उससे थोड़ा आराम लेने की जरूरत है।

हफ्ते में एक बार सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखने की कोशिश करें। ईमानदारी से, आप सोशल मीडिया पर जितना कम समय बिताएंगे, उतना ही आप महसूस करेंगे कि आपको उसकी ज्यादा जरूरत नहीं है।
यदि आपको अपने कार्यों के लिए सोशल मीडिया की आवश्यकता है यो आप इन प्लेटफॉर्म का उपयोग केवल प्रोफेशनल चीजों के लिए ही करें।

3. एकाग्र मन का होना

मन को एकाग्र रखने का प्रयास करें। इससे आपको वर्तमान में रहने में मदद मिलेगी और किसी दूसरे के जीवन मे घट रही चीजों का असर आपके मन पर न पड़े,इसकी कोशिश करें। इससे आपको "FOMO" से दूर रहने में मदद मिलेगी। अगर फिर भी आपका मन शांत नहीं होता तो आप किसी शांत जगह पर जाएं और मैडिटेशन करें अपने सांस के चलने की प्रक्रिया पर पूरा ध्यान केंद्रित करें।

जब भी आपके मन में यहां वहां के विचार आएं,तो दोबारा अपनी सांस को केंद्रित करने की कोशिश करें। रोजाना 2 मिनट से इसकी शुरुआत करें और धीरे धीरे इसकी अवधि को बढ़ाएं।

4. कृतज्ञता का भाव पैदा करें।

कृतज्ञता की भावना के साथ रहने से आप एक खुशहाल व्यक्ति बन सकते हैं और बेहतर जीवन जी सकते हैं। लोगो द्वारा दी गई दुआओं और आशीर्वाद को गिनने से बहुत मदद मिलती है। मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि आपके जीवन में छोटी छोटी चीजों के प्रति कृतज्ञता की भावना आपके दृष्टिकोण को बदल सकती है। अगर आप शादीशुदा हैं तो अपने जीवन में प्यार बढ़ाएं जिससे आपका दिल और दिमाग खुश रहेगा।

जिस समय आप अलग तरह की जीवनशैली को पाने सम्बधी अपनी इच्छा को छोड़ देंगे और अपने जीवन का आनंद उठाएंगे, तब आप अपने अंदर बदलाव महसूस करेंगे।

5. जब हो "FOMO" का असर

जब आपको लगे कि आप के ऊपर fomo का दबाव बढ़ रहा है, तो सबसे पहले आप अपने मोबाइल को दूर कर दें। अगर आप बाहर है और अपने दोस्तों के साथ हैं तो आप उनके साथ हो रही बातचीत पर अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करें।

यहां तक कि जब आप अकेले हैं और fomo अपना प्रभाव दिखता है,तो खुद को किन्ही दूसरी गतिविधियों में उलझाने की कोशिश करें। किताबें पढें, टीवी देखें, जो कुछ भी आपके मन को व्यस्त रखता है,उसमें खुद को व्यस्त रखने और सोशल मीडिया से दूर रहने की कोशिश करें।